03 साल पहले पारंपरिक खेती छोड़ शुरू की थाई एप्पल की बागवानी, अब हर साल कमा रहे 40 लाख

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आज की ये कहानी हरियाणा राज्य के जींद जिले में रहने वाले सतबीर पूनिया की। सतबीर 60 साल की उम्र पार कर चुके हैं।

लेकिन अभी जोश और जुनून युवाओं की तरह है। लगभग 03 साल पहले उन्होंने थाई एप्पल, अमरूद और आर्गेनिक सब्जियों की खेती करना शुरू किया था।

तीन साल पहले पारंपरिक खेती छोड़कर थाई एप्पल बेर की बागवानी शुरू की, अब हर साल 40 लाख रु. कमा रहे | Leaving traditional farming three years ago, started gardening of Thai

आज वो 16 एकड़ जमीन पर खेती कर रहे हैं। एक दर्जन से ज्यादा लोगों को उन्होंने रोजगार दिया है।

इससे हर साल 40 लाख रुपए की कमाई हो रही है। अपने गांव के आसपास के इलाके में अब वे बेर अंकल के नाम से जाने जाते हैं।

तीन साल पहले पारंपरिक खेती छोड़कर थाई एप्पल बेर की बागवानी शुरू की, अब हर साल 40 लाख रु. कमा रहे | Leaving traditional farming three years ago, started gardening of Thai

वे कहते हैं, ‘पहले मैं पारंपरिक खेती करता था। लेकिन इसमें कमाई नहीं हो रही थी। इसके बाद मैंने बिजनेस शुरू किया।

लगभग 20 साल तक बिजनेस किया। कमाई ठीक-ठाक हो रही थी। लेकिन मुझे संतुष्टि नहीं मिल रही थी।

Haryana Farmer Satbir Poonia Growing Thai Apple Ber in his Farm

इसलिए मैं हमेशा सोचता रहता था कि अब बिजनेस छोड़कर मुझे कुछ और करना चाहिए जिससे कि सोशल वर्क भी हो सके।

इसी दौरान मुझे एक जगह थाई एप्पल बेर के बारे में जानकारी मिली। इसके बाद 2017 में रायपुर से मैंने इसके पौधे मंगाए।

तीन साल पहले पारंपरिक खेती छोड़कर थाई एप्पल बेर की बागवानी शुरू की, अब हर साल 40 लाख रु. कमा रहे | Leaving traditional farming three years ago, started gardening of Thai Apple Plum, today earning Rs 40 lakh every year - Dainik Bhaskar

जो मुझे 70 रुपए प्रति पौधे के हिसाब से मिले। उस साल थाई एप्पल की खेती में मेरे 25 हजार रुपए खर्च हुए। उसके साथ ही मैंने अमरूद और नींबू के भी पौधे लगाए।

वे बताते हैं कि जब खेत में थाई एप्पल के प्लांट लगाए तो लोगों ने मजाक उड़ाया। घर के लोग भी विरोध कर रहे थे।

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लेकिन पहले ही साल मुझे बेहतर रेस्पॉन्स मिला और उत्पादन अच्छा हुआ। इससे मेरा आत्मविश्वास बढ़ा और अगले साल से मैंने खेती का दायरा बढ़ा दिया।

अब फलों के साथ-साथ सब्जियों की भी खेती होने लगी। आज उनके बाग में 10 हजार से ज्यादा पौधे हैं। दूर-दूर से किसान उनके खेती के मॉडल को समझने के लिए आते हैं।

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थाई एप्पल बेर की खेती साल में दो बार की जाती है। एक फरवरी से मार्च और दूसरी जुलाई से दिसंबर महीने में।

इसके लिए किसी विशेष प्रकार की मिट्टी की जरूरत नहीं होती है। किसी भी जमीन पर इसकी खेती कर सकते हैं।

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साथ ही इसमें पानी की भी जरूरत कम ही होती है। एक सीजन में दो या तीन बार सिंचाई की जरूरत होती है।

सतबीर बताते हैं कि बेर के पौधों को पेड़ के बजाय झाड़ीनुमा रखकर ही हम बेहतर फसल ले सकते हैं। इसीलिए हर साल 5-6 इंच की कटाई करनी चाहिए।

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