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कहते हैं कि कुछ कर दिखाने के लिए उम्र सीमा भी कोई मायने नहीं रखती। लहरों से डरकर नैय्या पार नहीं होती और कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।
इस कड़ी के माध्यम से आज हम आपको बताने जा रहे हैं एक पिछड़े गांव के 14 वर्षीय बालक भूपेंद्र गुर्जर के बारे में।

जिन्होंने अपने मजबूत इरादों और खेलों के प्रति लगाव दिखाते हुए महज 14 वर्ष की उम्र में ही स्वर्ण पदक हासिल किया है।
भूपेंद्र ने अभी हाल ही में आयोजित हुई खेलो इंडिया नेशनल गेम्स कबड्डी जयपुर में अंडर 14 में गोल्ड मेडल हासिल किया है।
भूपेंद्र गुर्जर करौली जिले के टोडाभीम उपखंड के गांव महमदपुर के निवासी हैं।
उनके पिता राजेंद्र सिंह गुर्जर भारतीय सेना में सैनिक के रूप में कार्यरत है और उनकी मां खेतों में खेती करने वाली एक ग्रहणी है।
गोल्ड मेडलिस्ट भूपेंद्र का कहना है कि जोखिम भरे खेल कबड्डी से उनका बचपन से ही लगाव है।
मेरे परिवार ने भी मेरा रुझान खेलों के प्रति होने के कारण मुझे काफी सपोर्ट किया और में अपनी इस उपलब्धि श्रेय मेरे माता पिता और कोच को देना चाहूंगा।
14 वर्षीय भूपेंद्र ने बताया कि उनके पिता का सपना उनको सेना में भर्ती कराने का था लेकिन मेरी रूचि बचपन से ही खेलों के प्रति रही।
गोल्ड मेडलिस्ट भूपेंद्र फिलहाल जयपुर के सवाई मानसिंह स्टेडियम में मई माह में जापान में आयोजित होने वाली अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता भाग लेने से पहले तैयारी कर रहे हैं।
भूपेंद्र इस अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता में भारत की ओर से प्रतिनिधित्व करेंगे। 14 वर्षीय भूपेंद्र का युवाओं के लिए कहना है कि वह अपनी पढ़ाई के साथ साथ खेलों में भी करियर बना सकते हैं।

आज भी कई खेल ऐसे हैं जिनमें ज्यादा संसाधनों की भी जरूरत नहीं पड़ती और हम घर रहकर भी पढ़ाई के साथ-साथ उनका अभ्यास कर सकते हैं।
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