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आमतौर पर मंदिरों की नींव पानी व रेत डालकर भरी जाती है लेकिन राजस्थान के बीकानेर में एक ऐसा मंदिर है जिसकी नीव देशी घी से भरी गई है।
सुनने में भले ही अजीब लग रहा हो लेकिन इस मंदिर के निर्माण के समय नीव में एक या दो किलो घी नहीं बल्कि 40 हजार किलो घी डाला गया।
लाल और पीले पत्थरो से 03 मंजिला बना भांडाशाह जैन मंदिर की नीव 1525 में सेठ भांडाशाह ने रखी। इस मंदिर को देखने के लिए देश-विदेश से सैलानी आते है।
मंदिर के ट्रस्ट ने बताया कि मंदिर के निर्माण के 500 साल बाद भी मंदिर का फर्श आज भी चिकना रहता है।
इससे यह प्रतीत होता है कि इस मंदिर के फर्श से घी निकलता है। इस मंदिर का निर्माण भांडाशाह नाम के एक घी के व्यापारी ने शुरू करवाया था।
मंदिर का निर्माण भांडाशाह ओसवाल ने करवाया था जो घी के व्यापारी थे।
जब मंदिर का निर्माण को लेकर बैठक मंदिर बनाने वाले ठेकेदार के साथ चल रही थी तब दुकान में रखे घी के पास एक मक्खी गिर कर मर गई तो सेठ ने मक्खी को उठाकर अपने जूते पर रगड़ लिया और मक्खी को दूर फेंक दिया।
पास बैठा ठेकेदार ने यह सब देखकर आश्चर्यचकित हो गया इसके बाद ठेकेदार ने सेठ की परीक्षा लेने की ठानी।
फिर ठेकेदार ने सेठ से बोला कि मंदिर को सैकड़ों वर्ष तक मजबूती के लिए घी का उपयोग उचित होगा। सेठ ने घी का प्रबंध करना शुरू किया।
जब मंदिर का निर्माण शुरू हो रहा था तब सेठ ने मंदिर की नीव में घी डालना शुरू किया और यह सब देखकर ठेकेदार आश्चर्यचकित हो गया।
तभी सेठ से माफी मांगी और कहा कि मैं तो आपकी परीक्षा ले रहा था। इसके बाद सेठ ने कहा कि यह घी मैंने भगवान के नाम पर दान कर दिया। इसका उपयोग तो मंदिर निर्माण की नीव में लेना ही होगा।
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