राजस्थान की संतोष देवी ने धोरो में उगाये सेब और अनार, अब सालाना 25 लाख रु तक कमाई

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कभी जिसे केवल 1.25 एकड़ बंजर ज़मीन देकर यह ताना दिया गया था कि उनके देवरों की कमाई से ही उनके बच्चे पल रहे है।

आज वही संतोष देवी उसी 1.25 एकड़ ज़मीन से सालाना 25 लाख रूपये कमा रहीं हैं।

यह कहानी है राजस्थान के सीकर जिले के बेरी गाँव में शेखावती फार्म चलाने वाली, कृषि वैज्ञानिक की उपाधि से सम्मानित, संतोष देवी खेदड़ और उनके पति राम करण खेदड़ की है।

राजस्थान के ही झुंझुनू जिले के कोलसिया गाँव में जन्मी संतोष देवी के पिता दिल्ली पुलिस में थे।

वे चाहते थे कि उनकी दोनों बेटियां भी दिल्ली में रहकर पढ़े। संतोष ने किसी तरह 05वी तक दिल्ली में पढ़ाई की लेकिन उनका मन गाँव की ओर ही भागता रहता।

गाँव वापस आते ही संतोष ने खेती के सारे गुर सीख लिए। 12 साल की होने तक संतोष को वह सब कुछ आता था जो एक किसान को आना चाहिए।

साल 1990 में गाँव की रीत के मुताबिक 15 साल की संतोष का विवाह रामकरण से और उनकी छोटी बहन की शादी राम करण के छोटे भाई से करा दी गयी।

रामकरण के संयुक्त परिवार में उनके बाकी दो भाई अच्छी नौकरियों में थे इसलिए परिवार के 5 एकड़ खेत का काम वे और संतोष सँभालने लगे।

इस खेत को देख कर संतोष देवी हैरान थी क्योकि रसायन के बार-बार इस्तेमाल से इसकी मिट्टी बिलकुल ख़राब हो चुकी थी।

खेत में न ट्यूबवेल और न ही कोई कुंआ, जहाँ से पौधों को पानी दिया जा सके। कुल मिलाकर इस खेत में जितनी लागत लग रही थी उतनी भी कमाई नहीं हो रही थी।

इसके बाद संतोष देवी ने ठान लिया कि अब वे इसी खेत से इतना तो कमा कर दिखाएंगी कि उनके बच्चों को किसी चीज़ की कमी न हो।

सबसे पहले संतोष देवी ने अपने खेत से सारे खरपतवार हटाये और खुद जैविक खाद बना कर खेत की मिट्टी में डाला।

उन्होंने अपनी एकलौती भैंस भी बेच दी और उन पैसों से खेत में ट्यूबवेल लगवाया। बाकी पैसों से इन दोनों ने 220 अनार के पौध खरीदे और उन्हें अपने खेत में बोया।

साथ ही आस-पास के किसानों से भी सलाह लेकर उन्होंने अपने खेत में नए-नए प्रयोग किये और उनके तीनों बच्चे भी स्कूल से वापस आकर अपने माता-पिता का हाथ बंटाते।

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